हरीश चंद्र, ग्वालियर।
जीवाजी यूनिवर्सिटी को कंगाल बनाने पर तुले कुछ अधिकारी व टीचर्स करीब 50 करोड़ रुपए कीमत की पांच बीघा जमीन ठिकाने लगाने का षड़यंत्र रच चुके हैं। यह जमीन शासन ने यूनिवर्सिटी के विकास के लिए तीन दशक पहले दी थी जिस पर पुरानी फार्मेसी अध्ययन शाला भवन बना है और उस का उद्घाटन 06/02/2003 को हो चुका है और बाकी जमीन खाली पड़ी है और जिस के बाबत हाई कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश वर्ष 2005 में दिया हुआ है। इसी जमीन के मालिकाना हक को लेकर लंबे समय से कई लोगों के बीच न्यायालयीन विवाद चला आ रहा है। अब इसे निजी हाथों में सौंपने का षड़यंत्र किया जा रहा है। ऐसा एक मामला सामने आया है जिसमें जेयू ने उस वकील को यूनिवर्सिटी का वकील अधिकृत कर दिया है जो जेयू के खिलाफ इसी मामले में दूसरे पक्ष की ओर से केस लड़ रहे हैं। एडवोकेट श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार अरुण चौहान के खास बताए जाते हैं।

देखें किस तरह किया जा रहा खेल
-जेयू की करीब 38 बीघा जमीन सरकार ने हाई कोर्ट भवन के निर्माण के लिए दे दी थी। इसके बदले शासन ने सर्वे नंबर 792/3 तथा 792/4 की करीब पांच बीघा जमीन जेयू को दी थी। इसी बीच हरचरण नाम के एक व्यक्ति ने उसे पट्टे के आधार पर मिली जमीन पर मालिकाना हक़ बताते हुए कुछ लोगों को बेच दी। खरीदारों में अनुराधा अग्रवाल व ओमप्रकाश गुप्ता एवं कई अन्य व्यक्ति भी सामने आए। उन्होंने जेयू के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ओमप्रकाश गुप्ता ने हाई कोर्ट में प्रथम अपील क्रमांक 174/2005 प्रस्तुत की इसमें अनुराधा अग्रवाल को प्रतिवादी एवं जेयू को हाई कोर्ट के आदेश पर पहली बार हाई कोर्ट स्तर पर पक्षकार बनाया गया। इसी प्रकरण में
-अनुराधा ने 2016 में समीर श्रीवास्तव को अपना वकील नियुक्त किया। एडवोकेट समीर श्रीवास्तव ने अनुराधा की ओर से 18 जुलाई 2016 को वकालातनामा पेश किया। और तब से इस प्रकरण में लगातार अनुराधा की ओर से एडवोकेट श्रीवास्तव पैरवी करते चले आ रहें हैं
-इसी बीच वर्ष 2023 में जेयू ने एडवोकेट श्रीवास्तव को अपना भी वकील बना लिया और एडवोकेट पैनल में शामिल कर लिया जबकि वे जेयू के खिलाफ दूसरे पक्ष की अनुराधा अग्रवाल के वकील के रूप में निरन्तर पैरवी करते चले जारहे हैं। पिछले माह 25 अप्रैल को हाई कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई हुई जिसमें अनुराधा की ओर से एडवोकेट श्रीवास्तव जीवाजी विश्वद्यालय के वकील होते हुए भी विश्वद्यालय के हित के विपरीत हाई कोर्ट में उपस्थित हुए। चूंकि जेयू ने उन्हें अपने अधिवक्ता पैनल में शामिल कर लिया था इसलिए उन्हें विरोधी पक्ष की ओर से जेयू के खिलाफ खड़ा नहीं होना था।
पूर्व में 16 सितंबर 2022 को हाई कोर्ट में इसी प्रकरण में हुई सुनवाई के दौरान अनुराधा की ओर से एडवोकेट श्रीवास्तव उपस्थित हुए। उल्लेखनीय है की पिछले माह 25 अप्रैल 2025 को हाई कोर्ट में इसी मामले (एफए 174/2005) को conc 138/ 2018 के साथ सुनवाई हेतु नियत किया गया था। जिसमें एडवोकेट श्रीवास्तव अनुराधा की ओर से उपस्थित हुए जबकि उन्हें जेयू के विरोधी पक्षकार जो की जीवाजी विश्वद्यालय को शासन के द्वारा आवंटित जमीन को अपने हित में चाहती हैं की ओर से पैरवी नहीं करना चाहिए । इस तरह जेयू की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं।









