बड़े अचरज की बात… नौकरी से हटाना था, पद से हटाया …..क्या आयुक्त किसी दबाव में है या कानून में कमजोर, सवाल बड़ा है
बिल्लू बादशाह की पड़ताल
ग्वालियर।
कोई अधिकारी यदि संविदा पर पदस्थ है और वह किसी गड़बड़ी घोटाले में पकड़ा जाता है या उसकी लापरवाही उजागर होती है तो उसे नोटिस नहीं थमाया जाता बल्कि सीधे नौकरी से हटाया जाता है, यह संविदा का नियम है, लेकिन ग्वालियर नगर निगम आयुक्त ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।

नगर निगम में महेंद्र शर्मा सहायक वर्ग 3 पद पर थे। वे एक साल के लिए ग्वालियर नगर निगम में संविदा पर आए हैं। पहले तो नियम यह है कि जो जिस पद पर है, उसी पद का प्रभार दिया जाता है, लेकिन आयुक्त संघ प्रिय ने महेंद्र शर्मा को बड़े-बड़े पद दे दिए। दूसरी बात कि वे घोटाले में संलिप्त पाए गए तो आयुक्त ने उन्हें केवल राजस्व विभाग से हटाया है जबकि उन्हें सीधे नौकरी से हटाया जाना चाहिए था । इससे ऐसा लगता है कि आयुक्त या तो किसी दबाव में है या कानून का अध्ययन नहीं किया है। जांच कमेटी गठित कर दी है, लेकिन जब तक जांच रिपोर्ट आएगी तब तक वे संविदा काल पूरा कर लेंगे।
ये घोटाला पकड़ा गया
नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने बताया कि राजस्व निरीक्षक महेन्द्र शर्मा द्वारा वार्ड क्रमांक 30 के अंतर्गत एक सम्पत्तिकर आईडी एवं वार्ड 28 के अंतर्गत एक सम्पत्तिकर आईडी में नोटराइज्ड दस्तावेजों के आधार पर नाम में परिवर्तन किया गया है। इसके साथ ही वार्ड 30 के अंतर्गत एक अन्य आईडी में क्षेत्रफल कम किया गया है जो कि इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। इसकी जांच हेतु अपर आयुक्त सम्पत्तिकर पदेन एवं उपायुक्त सम्पत्तिकर ग्वालियर पूर्व विधानसभा पदेन को नामांकित किया गया है। जांच की कार्यवाही को दृष्टिगत रखते हुए श्री शर्मा को सम्पत्ति कर विभाग के सभी दायित्वों से मुक्त किया गया है।









