देश और समाज का संपूर्ण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि बच्चे शिक्षा को छोड़कर श्रम में लगाए जाते हैं

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बाल एवं कुमार श्रम प्रथा समाप्ति हेतु संभागीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

ग्वालियर।

श्रम विभाग द्वारा होटल एंबियांस रेलवे स्टेशन के पास ग्वालियर में कार्यशाला का आयोजन किया गया ।  प्रशिक्षण कार्यशाला में एल पी पाठक उप श्रमायुक्त, इंदौर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। मुख्य प्रशिक्षणकर्ता डॉ ओंकार शर्मा ,उप श्रमायुक्त केंद्र सरकार यूनिसेफ की ओर से चाइल्ड राइट्स स्पेशलिस्ट अमरजीत सिंह तथा ग्वालियर संभाग की सहायक श्रमायुक्त श्रीमती संध्या सिंह उपस्थित रहीं। प्रशिक्षण कार्यशाला में ग्वालियर एवं चंबल संभाग के सभी जिलों के जिला टास्कफोर्स के सदस्यों जिनमे बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, SJPU , श्रम निरीक्षक आदि प्रशिक्षण हेतु उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि बाल एवं कुमार श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 की धारा 3 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का किसी भी कार्य मे नियोजन में प्रतिबंधित है। धारा 3(A) के अनुसार 14 से 18 वर्ष के उम्र के किशोरों का खतरनाक कार्यों में नियोजन प्रतिबंधित है उक्त उल्लंघनों की दशा में 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा एवं 20,000 से 50,000 तक के अर्थ दंड से दंडित किया जा सकता है।

प्रशिक्षण के दौरान मुख्य प्रशिक्षण कर्ता डॉ ओंकार शर्मा द्वारा बताया गया कि श्रम अधिनियम 1986 का मुख्य उद्देश्य समाज एवं देश से बाल श्रम की बुराई को दूर करना किसी भी देश और समाज का संपूर्ण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक समाज में बच्चे शिक्षा को छोड़कर श्रम में लगाए जाते हैं। डॉ ओंकार शर्मा द्वारा बाल श्रम अधिनियम 1986 के विभिन्न वैधानिक प्रावधानों एवं उनके उद्देश्य पर प्रकाश डालकर सभी सदस्यों को सशक्त किया। यूनिसेफ के सलाहकार अमरजीत कुमार सिंह द्वारा सभी सदस्यों को बताया गया कि किस प्रकार से मानवीय संवेदनाओं को साथ में रखते हुए बाल श्रम में पीड़ित बच्चे की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बाल श्रम में फंसे हुए बच्चे को विमुक्त कराएं एवं उसको उसकी आयु की आवश्यकता अनुसार शैक्षणिक आर्थिक एवं सामाजिक पुनर्वास कराएं। कार्यशाला के अंत में कार्यशाला में उपस्थित सभी सहभागियों द्वारा डॉ ओंकार शर्मा का आभार व्यक्त किया।

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