वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेले में उठीं देशभक्ति की हिलोरें

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महान क्रांतिकारी राजगुरू के प्रपौत्र सत्यशील कमलाकर “क्रांतिवीर परिजन सम्मान” से सम्मानित
दो शहीदों के परिजनों का भी हुआ सम्मान
बलिदान मेला स्थल को क्रांतिवीरों की प्रतिमाओं से सुसज्जित किया जायेगा – संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर 
ग्वालियर  – वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला आयोजन समिति द्वारा इस वर्ष आयोजित हुए 24वें बलिदान मेले में क्रांतिवीर परिजन सम्मान से महान क्रांतिकारी राजगुरू के प्रपौत्र  सत्यशील कमलाकर राजगुरु को सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सु उषा ठाकुर एवं राष्ट्रवादी  चिंतक शिव प्रकाश ने प्रदान किया।
देश की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले दो शहीदों के परिजनों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। जिनमें भारत-पाक युद्ध- 1971 में शहीद हुए स्व.रामलखन गोयल की धर्मपत्नी श्रीमती लीला गोयल ग्राम अकोड़ा जिला भिण्ड और वर्ष- 2018 में छत्तीसगढ़ राज्य के सुकुमा में नक्सली हमले में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद जितेन्द्र सिंह कुशवाह की धर्मपत्नी श्रीमती सोनम देवी कुशवाह अतरसूमा भिण्ड शामिल हैं। कार्यक्रम में महारानी लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य के मंचन से बड़ी संख्या में मौजूद शहरवासियों के दिलों में देशभक्ति हिलोरे लेने लगीं।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री सु उषा ठाकुर ने वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला मैदान को 1857 की क्रांति के अमर बलिदानियों पर सुसज्ज्ति करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस मैदान में क्रांतिकारियों की मूर्तियां प्रदेश सरकार द्वारा लगवाई जायेंगीं। बलिदान मेले के संस्थापक अध्यक्ष  जयभान सिंह पवैया ने संस्कृति मंत्री से इसकी मांग की थी।
बलिदान मेले में सांसद  विवेक नारायण शेजवलकर भी मौजूद थे। साथ ही ऊर्जा मंत्री  प्रद्युम्न सिंह तोमर, महापौर डॉ. शोभा सतीश सिकरवार, पाठ्य पुस्तक विकास निगम के अध्यक्ष  शैलेन्द्र बरूआ, बाँस बोर्ड के अध्यक्ष  घनश्याम पिरोनिया, संत  दंदरौआ महाराज एवं सर्व लोकेन्द्र पाराशर, मदन कुशवाह व सीताराम बाथम सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण इस आयोजन के साक्षी बने।
संस्कृति मंत्री सुउषा ठाकुर ने बलिदान मेले में मौजूद लोगों का आह्वान किया कि वे अपनी घर की बैठकों में क्रांतिकारियों के चित्रों को अवश्य स्थान दें। जिससे युवा पीढ़ी क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र रक्षार्थ काम कर सके। उन्होंने कहा कि इंदौर क्षेत्र के 243 विद्यालयों का नाम क्रांतिकारियों के नाम पर रखा गया है। साथ ही हर दिन प्रार्थना के समय 5 मिनट क्रांतिकारियों के जीवन चरित्र पर भी चर्चा होती है।
इस प्रकार की पहल अन्य शिक्षण संस्थाओं में भी की सकती है। सुउषा ठाकुर ने  भव्य और गरिमापूर्ण आयोजन के लिये  जयभान सिंह पवैया की प्रशंसा की और कहा कि उनके इस कार्य से ग्वालियरवासियों को 1857 की क्रांति की महानायिका वीरांगना लक्ष्मीबाई के प्रति समारोहपूर्वक श्रृद्धा-सुमन अर्पित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं राष्ट्रवादी चिंतक  शिवप्रकाश ने कहा कि युवा पीढ़ी को राष्ट्र सेवा के प्रति जागृत करने एवं देशभक्त बनाने की दिशा में बलिदान मेला एक अनूठा प्रयोग है। उन्होंने कहा कि इतिहास से सीख लेकर हम वर्तमान को संभालते हुए भविष्य में श्रेष्ठ भारत का निर्माण कर सकते हैं। इस अवधारणा को पूरा करने के लिये बलिदान मेले जैसे आयोजन जरूरी हैं। उन्होंने बलिदान मेले के संस्थापक अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया की यह पहल करने के लिये सराहना की।
बलिदान मेला आयोजन समिति के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व मंत्री  जयभान सिंह पवैया ने कहा है सन् 2000 से यह आयोजन प्रारंभ किया गया है। इस आयोजन के माध्यम से उन सब शहीदों को जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति इस राष्ट्र की रक्षा और निर्माण के लिये दे दी है, उनके प्रति हम सब कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन में ग्वालियर शहरवासियों की सक्रिय भागीदारी पर भी हर्ष और आभार व्यक्त किया।  पवैया ने कहा कि वीरांगना लक्ष्मीबाई ने गुलामी का सरल रास्ता न चुनकर स्वाभिमानी व देशभक्ति का रास्ता चुना। उन्होंने देश के लिये अपने प्राणों की आहुति दी और आज भी करोड़ों करोड़ भारतियों के दिल के सिंघासन पर राज कर रही हैं।
वीरांगना लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी हुआ 
इस गरिमापूर्ण कार्यक्रम में जीवित घोड़े, ऊंटों के साथ शहर के वंदे मातरम् ग्रुप द्वारा वीरांगना लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य की प्रस्तुति दी गई। जिसे दर्शकों द्वारा बेहद सराहा गया। इस महानाट्य में लगभग 250 कलाकारों ने भाग लिया।
कलाकारों की भावों से भरी प्रस्तुति ने बलिदान मेले में बड़ी संख्या में मौजूद शहरवासियों के दिलों में देशभक्ति का जज्बा हिलोरे लेने लगा। साथ ही बहुत से लोगों की आँखे नम हो गईं। कार्यक्रम के अंत में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कविताओं से प्रांगण गूँज उठा।

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