भाजपा विधायक जज्जी की विधायकी छिनी

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ग्वालियर।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अशोक नगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का चुनाव शून्य घोषित कर दिया है। उच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश विधानसभा अध्‍यक्ष को आदेश दिया है कि जज्जी की सदस्यता समाप्त की जाए। जज्जी ने कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लिया था। इस जाति को पंजाब में आरक्षण है, मध्य प्रदेश में नहीं है। अब नजर कांग्रेस के विधायक अजब सिंह कुशवाह पर टिकी है। आपराधिक मामले में सजा के कारण उनकी विधायकी पर भी खतरा मंडरा रहा है।

शुक्रवार को हुई थी अंतिम सुनवाई
बता दें कि उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने शुक्रवार को विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की थी। याचिकाकर्ता ने बताया था कि जज्जी ने पंजाब में कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। बताया जाता है कि कमेटी ने पहले जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया था, लेकिन दूसरी बार में प्रमाण पत्र जारी कर दिया। ऐसे में गलत प्रमाण पत्र बनवाकर जज्जी ने चुनाव लड़ा। हालांकि जज्जी की ओर से तर्क दिया गया कि 50 साल पहले उनके दादा-परदादा मध्यप्रदेश आ गए थे।

साल 2018 में कांग्रेस, 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में आये, फिर जीते 
बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस के टिकट से अशोकनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। भाजपा से लड्डू राम कोरी चुनाव हार गए थे। चुनाव हारने के बाद लड्डू राम कोरी ने उच्च न्यायालय में जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ याचिका दायर की।उच्च न्यायालय में शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संगम जैन ने याचिका के साथ जजपाल सिंह के उन सभी जाति प्रमाण पत्रों को पेश किया, जो उन्होंने बनवाए और कहा कि जज्जी को मध्य प्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वे मूलत: पंजाब के रहने वाले हैं. ज्ञात हो कि जजपाल सिंह जज्जी ने 2018 के निर्वाचन से इस्तीफा देकर 2020 में भाजपा के टिकट से उपचुनाव लड़ा और फिर से विधायक निर्वाचित हुए। अभी भाजपा विधायक हैं। वे सिंधिया समर्थक हैं।

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